Ram Mandir ram,
रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखल् संस्कृत कय एकठु अनुपम महाकाव्य होय। एहमा २४,००० श्लोक हैं। ई हिन्दू स्मृति कय उ अंग होय जवने कय माध्यम से रघुवंश कय राजा श्रीराम कय गाथा कही गा है। एका आदिकाव्य भी कहि जात है। रामायण कय सात अध्याय हैं जवने कय काण्ड कय नाव से जाना जात हय।
२२ जनवरी २०२४ को प्राणप्रतिष्ठा के समय श्री राम मंदिर
श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र लार्सन एंड टूब्रो द्वारा निर्माण (सीबीआरआई, राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थानऔर आईआईटी द्वारा सहायता प्राप्त)
निर्देशांक: निर्देशांक: 26°47′44″N 82°11′39″E / 26.7956°N 82.1943°E
रचनाकाल
कुछ भारतीय कहत हैं कि ई महाकाव्य ६०० ईपू से पहिलै लिखा गवा रहै। ईके पीछे युक्ति इ है कि महाभारत जो ईके पश्चात आवा बौद्ध धर्म के बारे में मौन है यद्यपि ईमा जैन, शैव, पाशुपत आदि अन्य परम्पराओं का वर्णन करा गवा है। इहै कारण रामायण गौतम बुद्ध के काल के पहिले का होएक चही। भाषा-शैली से भी इ पाणिनि कय समय से पहिले कय होएक चाही।
अयोध्या जेका साकेत अउर रामनगरी भी कहा जात ह । भारत कय उत्तर प्रदेश राज्य मा स्थित एक ऐतिहासिक अउर धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगर अहै। इ पवित्र सरयू नदी के किनारे बसा अहै औ अयोध्या जिला का मुख्यालय अहै। इतिहास मा इ 'कोशल जनपद' भी कहा जात रहा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या मा सूर्यवंशी / रघुवंशी / आर्कवंशी राजाओं का राज हुआ करत रहा, जवने मा भगवान राम अवतार लिए रहैं।स्थापना अउर उत्पत्ति
मान्यता है कि इ नगर क मनु बसाए रहैं अउर इके 'अयोध्या' नाम दिहे रहैं जेकर अर्थ होत ह - अयोध्या अर्थात 'जेका जुद्ध क जरिये प्राप्त नाहीं कीन्ह जाइ सकत।' मशहूर चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ७ वीं शताब्दी मा यहा आवा रहा। ओकरे अनुसार इहाँ २० बौद्ध मंदिर रहा अउर ३००० भिक्षु रहत रहेन । इ नगरी सत्तर पुरियन मँ स एक अहइ।
- अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका ।
- पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका:॥
- (अर्थ: अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, काञ्चीपुरम, उज्जैन अउर द्वारिका - इ सात पुरिया नगर मोक्षदायी हैं ।)

मुख्य आकर्षण

मानव सभ्यता की पहलीन पुरी होने का पौराणिक गौरव अयोध्या को स्वाभाविक रूप से प्राप्त है। फिर भी रामजन्मभूमि, कनक भवन, हनुमानगढ़ी, राजद्वार मंदिर, दशरथमहल, लक्ष्मणकिला, कालेराम मंदिर, मणिपर्वत, श्रीराम की पैड़ी, नागेश्वरनाथ, क्षीरेश्वरनाथ श्री अनादी पंचमुखी महादेव मंदिर, गुप्तार घाट सहित अनेक मंदिर इहाँ प्रमुख दर्शनीय स्थल ह । बिड़ला मंदिर, श्रीमणिरामदास जी का छावनी, श्रीरामवल्लभाकुंज, श्रीलक्ष्मणकिला, श्रीसियारामकिला, उदासीन आश्रम रनोपाली अउर हनुमान बाग जइसन कई आश्रम आगंतुकन का केन्द्र ह ।
मुख्य पर्व
राम मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जवन वर्तमान मा भारत कय उत्तर प्रदेश कय अयोध्या मा निर्माणाधीन है। जनवरी २०२४ मा एकर गर्भगृह अउर प्रथम तल बनके तैयार है अउर २२ जनवरी २०२४ मा इमे श्रीराम के बाल रूप में विग्रह का प्राणप्रतिष्ठा की गई। श्री राम एक हिन्दू देवता है जेके भगवान् विष्णु का अवतार माना जात है। प्राचीन भारतीय महाकाव्य, रामायण के अनुसार, राम का जन्म अयोध्या मा भईल रहे।
१६ वीं शताब्दी मा, बाबर पूरे उत्तर भारत मा मंदिरों पर आक्रमण की अपनी श्रृंखला मा मंदिर पर हमला कैके नष्ट कइ दिहिस। बाद मा, मुगलो ने एक मस्जिद, बाबरी मस्जिद का निर्माण कईले, जेके राम का जन्मभूमि, राम जन्मभूमिका स्थान माना जात है। मस्जिद का सबसे पहिला रिकॉर्ड १७६७ मा मिलेला, जवन जेसुइट मिशनरी जोसेफ टिफेंथेलर द्वारा लिखित लैटिन पुस्तक डिस्क्रिप्टियो इंडिया मा मिलेला। उनके हिसाब से, मस्जिद का निर्माण रामकोट मंदिर, जवन अयोध्या में राम का किला माना जात है, अउर बेदी, जहाँ राम का जन्मस्थान है, का ध्वस्त कइके करल गईल रहे।
राम,(रामचन्द्र), प्राचीन भारत म अवतरित, भगवान रहेन। हिन्दू धर्म में, राम, विष्णु कै १० अवतारन में से सातवा अहेंन। इनकै जनम अयोध्या नरेश दशरथ अउर महारानी कौशल्या के हिंया भवा रहान। राम भगवान क्य जीवनकाल अउर पराक्रम पे महर्षि वाल्मीकि रामायण लिखेन अउर गोस्वामी तुलसीदास भक्ति काव्य श्री रामचरितमानस कै रचना केहेन। हिन्दू धरम में भगवान् श्री रामचंद्र जी के बहुतै महत्व अहै। इनका मर्यादा पुरषोत्तम कहा जाथे। भगवान विष्णु क्य एक अवतार रहेन।
फोटू
श्रीरामजन्मभूमि
शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थित रामकोट में स्थित अयोध्या का सर्वप्रमुख स्थान श्रीरामजन्मभूमि है। श्रीराम-लक्ष्मण-भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों के बालरूप के दर्शन यहाँ होते हैं। यहां भारत और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का साल भर आना जाना लगा रहता है। मार्च-अप्रैल में मनाया जाने वाला रामनवमी पर्व यहां बड़े जोश और धूमधाम से मनाया जाता है।
कनक भवन
हनुमान गढ़ी के पास स्थित कनक भवन अयोध्या का एक महत्वपूर्ण मंदिर है. इ मंदिर सीता अउर राम क सोना क मुकुट पहिरे मूर्तियन बरे प्रसिद्ध अहइ। एही कारन कई बार इ मंदिर कय सोना कय घर भी कहा जात है। इ मंदिर १८९१ मा रानी टीकमगढ़ द्वारा बनवावा गवा रहा। इ मंदिर का श्री विग्रह (श्री सीताराम जी) भारत का सबसे सुंदर स्वरूप कहा जा सकता है। इहाँ नित्य दर्शन के अलावा सब समैया-उत्सव भव्यता से मनावल जात हैं.
हनुमान गढ़ी
नगर के केन्द्र मा स्थित इ मंदिर कय ७६ कदम की चाल से पहुँचा जाय सकत है। अयोध्या क भगवान राम क नगरी कहा जात अहै। मान्यता है कि हनुमान जी इहाँ हमेशा रहत रहेलन। एही से अयोध्या आकर भगवान राम के दर्शन से पहिले भक्त हनुमान जी के दर्शन करत हैं। इहाँ कय सबसे प्रमुख हनुमान मंदिर "हनुमानगढ़ी" के नाम से प्रसिद्ध अहै । [४] इ मंदिर राजद्वार के सामने ऊँच चट्टान पर स्थित अहै । कहा जात ह कि हनुमान जी इहाँ एक गुफा मा रहत रहे अउर रामजन्मभूमि अउर रामकोट की रक्षा करत रहे। इ उहइ ठउर रहा जहाँ हनुमान जी निवास करत रहेन।
भगवान श्रीराम हनुमान जी का इ अधिकार दिहे रहेन कि जउन भी भक्त मोरे दर्शन खातिर अयोध्या आवत ह, उ पहिले तोरे दर्शन पूजन करे। इहां आज भी छोट दीपावली के दिन आधी रात मा संकटमोचन का जन्म दिवस मनावा जात है। पवित्र नगरी अयोध्या मा सरयू नदी मा पाप धोवे से पहिले लोगन का भगवान हनुमान से आज्ञा लेवे के चाही। इ मंदिर अयोध्या मा एक पहाड पर स्थित है, मंदिर तक पहुचने के लिए लगभग ७६ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। एकरे बाद पवनपुत्र हनुमान की ६ इंच की प्रतिमा का दर्शन होत है, जवन हमेशा फूल-माला से सुशोभित रहत है। मुख्य मंदिर मा बाल हनुमान के साथ अंजनी माता की प्रतिमा है। श्रद्धालुअन का मानना है कि ई मंदिर में आवे से उनकर सब मनोकामना पूर्ण होई जात है। मंदिर परिसर मा मां अंजनी और बाल हनुमान की मूर्ति है जेहमा हनुमान जी, अपनी मां अंजनी की गोद मा बालक के रूप मा विराजमान हैं।
इ मंदिर कय निर्माण के पीछे एक कथा प्रचलित अहै । सुल्तान मंसूर अली अवध का नवाब रहा. एक दाई क बात अहइ कि एक ठु गरीब विधवा स ओकर महतारी कहेस, "जब ताईं मइँ हुवाँ जाउँ, कृपा कइके मोका जाइ देइँ अउ मइँ हुआँ स चला जाउँ। प्राण बचै क आसार नाहीं रहे, रात क कालीमा गहराये के साथ ही ओकर नाड़ी उखड़ने लगी तो सुल्तान थके हारके संकटमोचक हनुमान जी के चरणों मा माथा रखि दिहस। हनुमान आपन आराध्य भगवान श्रीराम का ध्यान कइलन अउर सुल्तान के बेटा के धड़कन फेर से शुरू हो गइल. जब आपन इकलौता बेटा के जान बचाई गई तब अवध का नवाब मंसूर अली बजरंगबली के चरणों मा माथा टेक देले । जेकरे बाद नवाब न केवल हनुमान गढ़ी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया बल्कि ताम्रपत्र पर लिखके इ घोषणा कीन कि कभी भी इ मंदिर पर कउनो राजा या शासक का कोई अधिकार नाहीं रही अउर न ही इ मंदिर के चढ़ावा से कोई कर वसूलल जाई । उ ५२ बीघा जमीन हनुमान गढ़ी अउर इमली वन खातिर उपलब्ध कराई।
इ हनुमान मंदिर के निर्माण का कोई स्पष्ट प्रमाण त नाही मिल रहा है, लेकिन कहत है कि अयोध्या न जाने केतना बार बसि अउर उजड़ी, लेकिन फिर भी एक जगह जवन हमेशा अपने मूल रूप में रहा उ हनुमान टीला है, जवन आज हनुमान गढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है. लंका से विजय का प्रतीक रूप से लावल गईल निशान भी एही मंदिर में रखल गईल जवन आज भी खास अवसर पर बाहर निकालल जाला अउर जगह जगह पर इनकर पूजा - अर्चना कईल जाला। मंदिर मा विराजमान हनुमान जी का वर्तमान अयोध्या का राजा माना जात है। कहत हवें कि हनुमान जी इहाँ एक गुफा मा रहत रहे अउर रामजन्मभूमि अउर रामकोट की रक्षा करत रहे। श्रद्धालुअन का मानना है कि ई मंदिर में आवे से उनकर सब मनोकामना पूर्ण होई जात है।
आवागमन
रेल मार्ग
अयोध्या, लखनऊ पंडित दीनदयाल रेलवे प्रखंड का एक स्टेशन अहै। लखनऊ से बनारस रूट पर फैजाबाद से आगे अयोध्या जंक्शन है। अयोध्या का एशिया का सर्वश्रेष्ठ रेलवे स्टेशन के रूप मा विकसित करे का काम तेजी से चल रहा है। उत्तर प्रदेश अउर देश कय लगभग तमाम शहर से इहाँ पहुँचा जाय सकत है। इहँवा से बस्ती, गोंडा, बनारस, गोरखपुर, लखनऊ, प्रयागराज, के साथ भोपाल, मुम्बई, अमृतसर, जम्बू, बिलासपुर, पटना, देहरादून, सूरत, कोलकाता, दिल्ली, रामेश्वरम खातिर भी सीधा रेलगाड़ी है
सड़क मार्ग
उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम की बसें लगभग सभी प्रमुख शहरो से अयोध्या खातिर चलती हैं। अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग २७ (भारत) अउर राष्ट्रीय राजमार्ग ३३० (भारत) अउर राज्य राजमार्ग से जुड़ा अहै।
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